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सफेद मूसली के फायदे और नुकसान – Benefits and Side Effects of Safed Musli in Hindi

सफेद मूसली के फायदे और नुकसान

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। प्रकृति महान है जिसने प्राकृतिक संपदा के रूप में सभी प्राणियों को जीवित रहने के लिये भोजन और पानी दिया है। जहां तक स्वास्थ की बात है तो, प्रकृति ने मानव स्वास्थ के लिये असीमित और प्रचुर जड़ी बूटियों को उपहार के रूप में दिया है। इस उपहार रूपी संपदा को ऋषि मुनियों ने पहचाना और लोक कल्याण के लिये कार्य किया। आयुर्वेद में मानव जाति की प्रत्येक बीमारी का उपचार जड़ी बूटियों व अन्य प्राकृतिक संसाधनों से किया जाता है। इन्हीं जड़ी बूटियों में से एक जड़ी बूटी ऐसी है जो केवल भारतीय हिमालयन क्षेत्र के जंगलों में पाई जाती है, प्राकृतिक रूप से उगती है और दुर्लभ है। परन्तु अब इसकी खेती सामान्य रूप से की जाती है। दोस्तो, जिस जड़ी बूटी की हम बात कर रहे हैं वह “भारतीय वियाग्रा” या “हर्बल वियाग्रा” के रूप में प्रसिद्ध है जबकि यह अनेक बीमारियों के उपचार में काम आती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सफेद मूसली की जिसके खाने के बहुत फायदे होते हैं। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “सफेद मूसली के फायदे और नुकसान”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको सफेद मूसली के बारे विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इसे खाने के क्या फायदे होते हैं और क्या नुकसान। तो, सबसे पहले जानते हैं कि सफेद मूसली क्या है और कहां इसकी खेती होती है। इसके बाद फिर अन्य बिन्दुओं (Points) की जानकारी देंगे।

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सफेद मूसली के फायदे और नुकसान
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सफेद मूसली की क्या है? – What is Safed Musli?

सफेद मूसली एक दुर्लभ जड़ी बूटी है जो भारतीय हिमालयन क्षेत्र के जंगलों में पाई जाती है। इसका पौधा बरसात में अपने आप उगता है। परन्तु इसके औषधीय गुणों और उपयोगिता को देखते हुऐ अब इसकी खेती भारत के अनेक राज्यों में की जाती है। भारतीय चिकित्सा पद्धति में इसे “सफेद सोना” और “दिव्य औषध” के रूप में जाना जाता है। वैसे तो सफेद मूसली को यौन क्षमता को बढ़ाने और यौन विकारों के उपचार के लिये जाना जाता है परन्तु शरीर की अनेक बीमारियों जैसे गठिया, डायबिटीज, मूत्र विकार, सूजन, तनाव आदि के उपचार में अत्यंत लाभदायक होती है। सफेद मूसली का पौधा डेड़ (1।5) फीट तक ऊंचा होता है और जड़ें मोटी और गुच्छों में होती हैं जो जमीन में दस इंच तक गहराई में जा सकती हैं। इसके फूल छोटे और सफेद रंग के होते हैं। इसका कंद (Tuber) मीठा होता है। सफेद मूसली, पाउडर (चूर्ण) और कैप्सूल के रूप में बाजार में उपलब्ध है। 

सफेद मूसली की खेती कहां होती है? – Where is Safed Musli Cultivated?

1. यह एक दुर्लभ भारतीय जड़ी बूटी है जिसका पौधा भारत के जंगलों में पाया जाता है। विश्‍व के किसी भी देश में सफेद मूसली के पौधे की संभावना नहीं जान पड़ती। 

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2. जंगलों में उगने वाले इस पौधे की उपयोगिता को देखते हुऐ पूरे देश में इसकी खेती की जा रही है। इसकी खेती, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश,  राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल और पश्चिमी बंगाल के कुछ हिस्से को छोड़कर, में की जाती है। 

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सफेद मूसली के गुण – Properties of Safed Musli

1. सफेद मूसली की तासीर ठंडी होती है।

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2. सफेद मूसली की जड़ों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट,  फाइबर, सैपोनिंस जैसे पोषक तत्व और कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि खनिज मौजूद होते हैं।

3. एंटीमाइक्रोबियल, एंटीइन्फ्लेमेटरी, एंटीट्यूमर, एंटीओबेसिटी, एंटीस्ट्रेस, एंटीअर्थराइटिस, एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण इसका उपयोग आयुर्वेदिक, यूनानी, चीनी, होम्योपैथिक और एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति में किया जाता है। 

4. पोषक तत्व :-

प्रोटीन                 :  5 से 10 प्रतिशत

कार्बोहाइड्रेट         :  35 से 45 प्रतिशत

फाइबर                 :  25 से 35 प्रतिशत

सैपोनिन्स                 :  2 से 6 प्रतिशत

एल्कलॉइड                 : 15 से 25 प्रतिशत

सफेद मूसली के उपयोग – Uses of Safed Musli

सफेद मूसली निम्नलिखित दो रूपों में मिलती है –

1. सफेद मूसली का पाउडर (चूर्ण) – घर पर भी आप सफेद मूसली की जड़ काे पीस कर पाउडर बना सकते हैं  और दूध व शहद के साथ इसका सेवन कर सकते हैं। 

2. सफेद मूसली कैप्सूल – सभी जगह मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध होते हैं।  

सफेद मूसली के फायदे – Benefits of Safed Musli

1. लिकोरिया में फायदेमंद (Beneficial in Likoria)- दोस्तो, ल्यूकोरिया महिलाओं में होने वाली आम समस्या है परन्तु यदि यह  लंबे समय तक चले तो खुजली, जलन और बेचैनी जैसी और समस्याऐं पैदा हो जाती हैं। महिलाओं के जननांग से सफेद, पीला, हल्का नीला या लाल रंग का, वैसे अधिकतर सफेद रंग का, बदबूदार द्रव पदार्थ बहता रहता है। इसी सफेद श्राव को श्वेत प्रदर (Leucorrhea) कहा जाता है जिसमें महिला शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से परेशान रहती है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “Likoria का घरेलु इलाज” पढ़ें। इस समस्या से राहत पाने के लिये  एक या दो ग्राम सफेद मूसली के कंद के चूर्ण का उपयोग  करें। सफेद मूसली के चूर्ण को ईसबगोल के साथ मिलाकर भी सेवन कर सकती हैं। निश्चित रूप से आराम लग जायेगा।

2. गर्भावस्था में फायदेमंद (Beneficial in Pregnancy)- गर्भावस्था में सफेद मूसली एक शक्तिशाली टॉनिक के रूप में कार्य करती है। यह गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु दोनों के स्वास्थ के लिये आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा कर उनको स्वस्थ बनाये रखती है। प्रसव के बाद भी मां की खोई हुई सारी एनर्जी, तत्वों और धातुओं की रिकवरी कर शरीर में चुस्ती और स्फूर्ती भर देती है। गर्भावस्था में सफदे मूसली का सेवन करने से पहले डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें क्योंकि वे शारीरिक स्थिति के अनुसार ही सलाह देंगे। 

3. मां के स्तनों में दूध बढ़ाये (Increase Milk in Mother’s Breast)- प्रसव के पश्चात शिशु को पिलाने के लिये मां के स्तनों में दूध भरपूर होना चाहिये। सफेद मूसली स्तनों में दूध की वृद्धि का काम करती है। सफेद मूसली को गन्ने से बनने वाली ब्राउन शुगर या जीरे के साथ सेवन किया जाये तो स्तनों में दूध की वृद्धि हो जायेगी या सफेद मूसली चूर्ण की 2 से 4 मात्रा लेकर इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर दूध के साथ लेने से भी लाभ होगा। 

4. शारीरिक कमजोरी दूर करे (Remove Physical Weakness)- शारीरिक कमजोरी के अनेक कारण होते हैं जैसे रुटीन में काम करने से थकावट है गई, अधिक परिश्रम कर लिया तो कमजोरी महसूस होने लगी, प्रोटीन, विटामिन, खनिज युक्त भोजन ना करना जिससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और शरीर कमजोर पड़ने लगता है। और बिना काम करे ही शारीरिक कमजोरी महसूस करना ये गंभीर समस्या होती है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “शारीरिक कमजोरी दूर करने के उपाय” पढ़ें। इस शारीरिक कमजोरी की स्थिति से निपटने  के लिये सफेद मूसली का सेवन करें। इससे रोजाना खर्च हुई ताकत वापिस मिलेगी और पोषक तत्वों की कमी पूरी होती रहेगी जिससे स्थाई रूप से शारीरिक कमजोरी महसूस नहीं होगी। इसके लिये आप सफेद मूसली चूर्ण को मिश्री के साथ 2-4 ग्राम मात्रा में लेकर दूध के साथ खायें। 

5. इम्युनिटी बढ़ाये (Boost Immunity)- नियमित रूप से सफेद मूसली के सेवन से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। सर्दी-जुकाम, फ्लू आदि बीमारियों से और बैक्टीरियल इंफैक्शन से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है। इसके सेवन से इम्युनिटी बूस्ट होती है। प्राचीन काल से ही इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिये इसका उपयोग होता रहा है। आधा चम्मच मूसली पाक को शहद के साथ या दूध के साथ सुबह और रात को सेवन करें या 1-2 ग्राम सफेद मूसली चूर्ण को दूध के साथ लें। सफेद मूसली का उपयोग अस्थमा रोगी के उपचार में भी किया जाता है ताकि उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत बनी रहे। 

6. बॉडी बिल्डिंग के लिये (For Bodybuilding)- जो लोग अपनी बॉडी बनाने की चाह में जिम में जाकर वर्कआउट करते हैं, उनके लिये सफेद मूसली सप्लीमेंट के रूप में काम करती है। और कुछ लोग इसका उपयोग करते भी हैं। सफेद मूसली का एक कैप्सूल सुबह और एक कैप्सूल शाम को दूध या पानी के साथ सेवन करें। वर्कआउट से होने वाली थकान से राहत मिलेगी। रात को लिये कैप्सूल का प्रभाव सुबह तक रहेगा। 

7. वजन कम करने के लिये (To Lose Weight)- शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधियां, वजन को भी बढ़ाती हैं। सफेद मूसली भी शारीरिक शक्ति के साथ-साथ वजन बढ़ा सकती है। परन्तु, यदि इसे दूध के बजाय गर्म पानी से लिया जाये तो इसका प्रभाव पलट जायेगा यानी शरीर में शक्ति बढ़ेगी मगर वजन नहीं बढ़ेगा, बल्कि कम होगा। इसलिये वर्कआउट करने के बाद सफेद मूसली चूर्ण को गर्म पानी के साथ लें। 

8. मूत्र संबंधी रोगों को दूर करे (Cure Urinary Diseases)-  यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन  (UTI) अधिकतर महिलाओं होने वाली आम बीमारी है जो ज्यादातर महिलाओं में देखी जाती है। इसके कारण  पेशाब में जलन, बार-बार पेशाब लगना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना और पेशाब से बदबू आना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं। इस इंफेक्शन का प्रभाव किडनी पर भी पड़ सकता है जिससे किडनी फेलियर की संभावना बन जाती है। इसलिये इसका तुरंत उपचार जरूरी हो जाता है। आधा चम्मच सफेद मूसली चूर्ण गुनगुने दूध के साथ दिन में दो बार पीने से इस समस्या से राहत मिल जायेगी। 

9. अर्थराइटिस में फायदेमंद (Beneficial in Arthritis)- सफेद मूसली की जड़ों में सैपोनिन नामक कम्पाउंड होता है जिसमें एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटी-अर्थराइटिस गुण होते हैं। बढ़ती उम्र में हड्डियों और जोड़ों में दर्द होना स्वाभाविक है। सफेद मूसली में पाये जाने वाले ये गुण सूजन को खत्म करके इसके कारण होने वाले दर्द को भी खत्म करते हैं। इशके लिये आधा चम्मच सफेद मूसली के चूर्ण को दिन में दो बार दूध या पानी के साथ खाना है। सफेद मूसली के कंद को पीसकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से भी आराम आ जायेगा। 

10. तनाव कम करे (Reduce Stress)- दोस्तो, एक बात हम स्पष्ट कर दें कि तनाव कोई रोग नहीं है और ना ही कोई विकार, फिर भी यह हमें परेशान करता है। यह शारीरिक और मानसिक रोगों को जन्म देने वाला कारक है। इसके कारण सिर में दर्द भी रहता है। सफेद मूसली की जड़ में एंटीस्ट्रेस और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं जो तनाव को कम करने में मदद करते हैं। आमतौर पर शरीर एंटीऑक्सीडेंट और मुक्त कणों के बीच संतुलन बनाए रखता में है  लेकिन जब किसी कारणवश ऐसा नहीं होता है, तो इसे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस या ऑक्सीडेटिव तनाव कहा जाता है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस की वजह से होने वाले विकारों के उपचार के लिये सफेद मूसली की जड़ का उपयोग किया जाता है। सफेद मूसली चूर्ण को गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से हर प्रकार के तनाव से छुटकारा मिल जायेगा। तनाव पर विस्तृत जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “तनाव से छुटकारा पाने के उपाय” पढ़ें।

11. डायबिटीज में फायदेमंद (Beneficial in Diabetes)- इंसुलिन नामक हार्मोन ग्लूकोज़ यानि शुगर को ऊर्जा में बदलता है और साथ ही शरीर की कोशिकाओं में भेजता है ताकि उन्हें ऊर्जा मिलती रहे। डायबिटीज पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “डायबिटीज के देसी उपाय” पढ़ें। सफेद मूसली के फायदे डायबिटीज में भी देखे जा सकते हैं। सफेद मूसली में एंटीडायबिटिक और एंटीहाइपरग्लाइसेमिक गुण होते हैं जो इंसुलिन को बढ़ाकर ग्लुकोज की मात्रा को कम करके इसके स्तर को सामान्य बनाये रखने का कार्य करते हैं। 

12. दस्त रोकने में फायदेमंद (Beneficial in Preventing Diarrhea)- दस्त लगने पर बार-बार शौच जाने से शरीर में पानी और ऊर्जा की कमी होना स्वाभाविक है। दस्त स्टैफिलोकोकस और एस्चेरिचिया कोलाई जैसे बैक्टीरिया और वायरस की वजह से होते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिये हमारा आर्टिकल “दस्त रोकने के देसी उपाय” पढ़ें। सफेद मूसली इस समस्या से राहत दिलाती है। दस्त लगने पर सफेद मूसली का चूर्ण दो या चार ग्राम की मात्रा में लेकर दूध के साथ लें। 

13. काम शक्ति को बढ़ाये (Increase Sexual Power)- सफेद मूसली के पोषक तत्व और गुण टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन को बढ़ाते हैं। टेस्टोस्टेरॉन नर-सेक्स हार्मोन और एनाबोलिक स्टीरॉएड होता है जो  पुरुष यौन लक्ष्णों के विकास को बढ़ाता है। सफेद मूसली एक प्राकृतिक कामोद्दीपक जड़ी-बूटी है जिसे भारतीय वियाग्रा या हर्बल वियाग्रा भी कहा जाता है। यह मानव में  कामेच्छा को बढ़ा कर, यौन अंगों में उत्तेजना भरकर, लंबे समय तक काम सुख की अनुभूति कराती है। अर्थात् यह काम शक्ति को बढ़ाती है। भोजन करने के दो घंटे बाद, आधा चम्मच सफेद मूसली पाउडर को गुनगुने दूध के साथ दो बार सुबह शाम लें। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “सेक्स पावर बढ़ाने के उपाय” पढ़ें

14. नपुंसकता को खत्म करें(Eliminate Impotence) – नपुंसकता जिसे मेडिकल भाषा में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction) कहा जाता है एक ऐसी समस्या है जिसमें व्यक्ति कभी खुश नहीं रह सकता क्योंकि वह अपने पार्टनर को “खुश” नहीं कर सकता और परिणाम परिवार में कलह। अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “नपुंसकता को दूर करने के देसी उपाय” पढ़ें। सफेद मूसली इस समस्या से निजात दिलाती है। इसका निम्न प्रकार सेवन कर सकते हैं –

(i)  सफेद मूसली के कैप्सूल, एक सुबह और एक शाम पानी या दूध के साथ लें। 

(ii)  सफेद मूसली पाउडर और कौंच के बीज के पाउडर के साथ मिलाकर आधा चम्मच एक सुबह और एक शाम पानी या दूध के साथ लें। 

(iii)  एक चम्मच मूसली पाक को गाय के दूध के साथ दिन में दो बार सुबह और शाम लें।

(iv) सफेद मूसली पाउडर और मिश्री पाउडर को बराबर मात्रा में मिला लें। यह पाउडर 5 ग्राम की मात्रा में लेकर रोजाना सुबह और शाम दूध के साथ लें।

15. शीघ्रपतन के उपचार में उपयोगी (Useful in the Treatment of Premature Ejaculation)- देसी हैल्थ क्लब यहां स्पष्ट करना चाहता है कि सहवास की कोई सीमा नहीं होती, कोई निर्धारित मापदण्ड नहीं है। यह उस विशेष समय में पुरुष की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है उसकी एकाग्रता पर निर्भर करता है और उसकी शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है कि उसका आंतरिक बल (stamina) कितना है।  लेकिन यह तय है कि यदि पुरुष सहवास शुरु करने सके 60 सैकेन्ड के अंदर ही स्खलित हो जाता है तो इसे शीघ्रपतन कहते हैं जो सेक्सुअल डिस्ऑर्डर कहलाता है और मेडिकल भाषा में इसे प्रीमेच्योर इजेकुलेशन (Premature Ejaculation) कहते हैं। इस विषय पर विस्तृत जानकारी हमारा पिछला आर्टिकलशीघ्रपतन का देसी उपचार” पढ़ें। खाना खाने के बाद दिन में दो बार सुबह और शाम, आधा चम्मच सफेद मूसली पाउडर में बराबर की मिश्री पाउडर मिलाकर दूध के साथ लें। इस डिस्ऑर्डर से मुक्ति मिल जायेगी। 

16. शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या के लिये (Sperm Quality and Number)- दोस्तो, पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या होना और शुक्राणुओं की गुणवत्ता खराब होना, या शुक्राणुओं की संख्या में कमी ना होना मगर शुक्राणुओं की गुणवत्ता ठीक ना होना, इन स्थितियों का कुप्रभाव पुरुष की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है जिसे देसी उपायों से ठीक किया जा सकता है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “शुक्राणु बढ़ाने के देसी उपाय” पढ़ें। शुक्राणुओं की संख्या में बढ़ोत्तरी और गुणवत्ता में सुधार के लिये सफेद मूसली अपनी अच्छी भूमिका निभाती है। इसके लिये सफेद मूसली का उपयोग निम्न प्रकार कर सकते हैं –

(i)  अश्‍वगंधा, शतावरी और सफेद मूसली को मिलाकर पीसकर पाउडर बना लें और इस पाउडर को तीन-तीन ग्राम की मात्रा में लेकर सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करें 

(ii) आधा चम्मच सफेद मूसली पाउडर को एक चम्मच शहद के साथ प्रतिदिन सुबह शाम सेवन करें। 

(iii) 2 से 4 ग्राम सफेद मूसली चूर्ण में, बराबर की मिश्री मिलाकर गाय के दूध के साथ सेवन करें।

17. स्वप्नदोष से कमजोरी को दूर करे (Remove Weakness from Dreams)- दोस्तो, शरीर की एक स्वाभाविक क्रिया है जिसके अंतर्गत सपने में पुरुष स्वयं ही स्खलित हो जाता है। यह कोई दोष या बीमारी नहीं है। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “स्वप्नदोष दूर करने के देसी उपाय” पढ़ें। स्वपन में स्खलित होने के परिणाम स्वरूप शरीर में कमजोरी आती है। इसी कमजोरी को दूर करने का काम सफेद मूसली करती है। प्रतिदिन दो बार सुबह और शाम खाना खाने के बाद आधा चम्मच सफेद मूसली चूर्ण को गुनगुने दूध के साथ सेवन करें। 

सफेद मूसली की मात्रा – Amount of Safed Musli

सफेद मूसली खाने की मात्रा हर व्यक्ति की आयु, शारीरिक मजबूती, स्वास्थ और भूख पर निर्भर करती है जो कि सभी में कुछ ना कुछ भिन्नता होती है। भूख पर पड़ने वाले प्रभाव के अनुसार इसकी मात्रा कम कर देनी चाहिये।  

1. सामान्य मात्रा – Normal Quantity

(i)   सफेद मूसली चूर्ण : 1-2 ग्राम दिन में दो बार ले सकते हैं।

(ii)  सफेद मूसली कैप्सूल : 1-2 कैप्सूल दिन में दो बार ले सकते हैं, वैसे डॉक्टर की सलाह लेना ठीक रहेगा। 

(iii) मूसली पाक : आधा-आधा चम्मच दिन में दो बार।

2. आयु के अनुसार मात्रा – Quantity by Age

(i)  बच्चे – 25 से 50 मिलीग्राम प्रति किलो वजन के हिसाब से परन्तु एक बार में 1 ग्राम से ज्यादा ना दें।

(ii) किशोर (13 -19 वर्ष) – 1.5 से 2 ग्राम.

(iii) वयस्क (19 से 60 वर्ष) – 3 से 6 ग्राम. 

(iv) वृद्धावस्था (60 वर्ष से ऊपर) – 2 से 3 ग्राम.

(v) गर्भावती महिला – 1 से 2 ग्राम. 

(vi) स्तनपान कराने वाली रही महिला – 1 से 2 ग्राम.

3. एक शोध के मुताबिक सफेद मूसली की 15 ग्राम जड़ को एक कप दूध में उबाल कर दिन में दो बार लिया जा सकता है।

यहां देसी हैल्थ क्लब स्पष्ट करता है कि सफेद मूसली का सेवन करने से पहले कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ/आहार विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

सफेद मूसली के नुकसान – Side Effects of Safed Musli

सफेद मूसली खाने के कोई साइड इफैक्ट्स नहीं हैं बशर्ते की ज्यादा ना खाया जाये। ज्यादा खाने पर हो सकती हैं निम्नलिखित परेशानियां-

1. भूख में कमी (Loss of Appetite)- अधिक मात्रा में लेने से जल्दी भूख नहीं लगती क्योंकि यह देर से पचती है। यह सिलसिला यदि लंबा चलता है तो निश्चित रूप से आपकी भूख कम हो जायेगी। 

2. कफ को बढ़ाये (Increase the Cough)- इसकी तासीर ठंडी होने के कारण यह शरीर में कफ को बढ़ा देती है। इसलिये इसका उचित मात्रा में सेवन करें। जो पहले से ही कफ से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित हैं उनको अधिक सावधान रहने की जरूरत है। डॉक्टर की सलाह के अनुसार सफेद मूसली का सेवन करें।

3. शुगर स्तर में कमी (Decrease in Sugar Level)- सफेद मूसली का अधिक सेवन बल्ड शुगर लेवल को प्रभावित कर उसे कम कर सकती है। लो ब्लड शुगर के मरीज या जो लोग शुगर की दवा ले रहे हैं, उनको इसके सेवन से परहेज करना चाहिये।

4. पाचन तंत्र पर प्रभाव (Effect on the Digestive System)- चूंकि यह पचने में भारी होती है यानी देर से पचती है, इसलिये यदि आपका पाचन तंत्र कमजोर है तो इसके अधिक सेवन से बचें। इससे आपको पाचन संबंधी समस्याऐं हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में केवल आधा चम्मच सफेद मूसली का चूर्ण ही काफी है। 

5. पेट और आंतों की समस्या (Stomach and Intestinal Problems)- सफेद मूसली के अधिक सेवन से पेट और आंतों से संबंधित समस्याऐं हो सकती हैं जैसे पेट दर्द, ऐंठन, कब्ज, गैस, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम आदि।

6.  गर्भावस्था एवं स्तनपान (Pregnancy and Breastfeeding)- गर्भवती और शिशु को स्तनपान कराने वाली महिलाऐं स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही सफेद मूसली का सेवन करें क्योंकि  यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसी स्थिति में सफेद मूसली का सेवन इनके लिये सुरक्षित है या नहीं। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको सफेद मूसली के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सफेद मूसली क्या है, इसकी खेती कहां होती है, सफेद मूसली के गुण, सफेद मूसली के उपयोग और सफेद मूसली की मात्रा, इन सबके बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से आपको सफेद मूसली खाने के फायदे बताये और नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस लेख से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो लेख के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह लेख आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और  सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है।  कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको सफेद मूसली के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सफेद मूसली क्या है, इसकी खेती कहां होती है, सफेद मूसली के गुण, सफेद मूसली के उपयोग और सफेद मूसली की मात्रा, इन सबके बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया।
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